योगेश राठौर, INDORE. शासकीय लॉ कॉलेज में एक किताब को लेकर उठे विवाद के बाद मप्र शासन द्वारा सस्पेंड किए गए प्रिंसीपल ईनामुर्र रहमान को सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई है। साथ ही इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस भी जारी कर सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
14 दिसंबर को हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी
सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका लगने से पहले 14 दिसंबर को रहमान के वकील अभिवन धनोतकर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही 16 घंटे के भीतर सुप्रीम कोर्ट में 15 दिसंबर को सुबह याचिका दायर हो गई और इसमें सुनवाई भी हो गई। वकील धनोतकर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रिंसीपल पर जो राष्ट्रद्रोह की धाराएं लगाई गई है, वह बेमानी है, क्योंकि उनके रहते न यह किताब खरीदी गई और न ही वह इस किताब के प्रकाशक है। जो अपराध इनके द्वारा नहीं किया गया है, उसके लिए भी धाराएं लगाकर केस दर्ज कर लिया गया है। इन तर्कों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंसीपल की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और साथ ही इस मामले में राज्य सरकार को भी नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा गया है।
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यह है पूरा मामला
शासकीय लॉ कॉलेज में कुछ छात्रों और एबीवीपी ने विरोध प्रदर्शन किया और लेखिका डॉ. फरहत खान की किताब को लेकर कहा कि इस किताब में आपत्तिजनक बाते हैं और यहां के कुछ प्रोफेसर लव जेहाद, धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा दे रहे हैं। सात सदस्यीय कमेटी ने आरोपों को सही माना और उधर छात्र के आवेदन पर भंवरकुआं थाने में प्रिंसीपल के साथ ही वाइस प्रिंसीपल मिर्जा, लेखिका व प्रकाशक पर विविध धाराओं में केस दर्ज कर लिया। लेखिका पुणे में डायलिसिस पर है और उन्हें नोटिस दे दिया गया है, प्रकाशक गिरफ्तार हो चुके हैं और वाइस प्रिंसीपल भी अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर है। उधर जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद मप्र शासन ने प्रिंसीपल और वाइस प्रिंसीपल दोनों को निलंबित कर दिया है।